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Saturday, 21 July 2018

मेरा बेटा कभी इतना बड़ा ना हो

ऊँगलियाँ भले ही बदल जाएँ 
वो थामे या मैं थामूँ
पर हाथ छोड़ भाग जाए 
मेरा बेटा कभी इतना बड़ा ना हो।

अपनी बात मनाने को 
भले ही मुझसे झगड़ जाए 
पर बात मनाने को बात करना छोड़ दे
मेरा बेटा कभी इतना बड़ा ना हो।

उसकी जेब खर्ची से मेरी जेब खर्ची तक 
देने वाली जेब भले ही बदल जाए 
पर पैसे की वजह से प्यार छोड़ दे 
मेरा बेटा कभी इतना बड़ा ना हो। 

मेरे कंधो से उसके कंधो तक 
ज़िंदगी चाहे कितनी भी बदल जाए 
ज़रूरतें निभाते,अपनी फज़िम्मेदारियाँ भूल जाए 

मेरा बेटा कभी इतना बड़ा ना हो।

हेम 

आज़ादी तब और आज


आज़ादी - तब और आज


आज के परीवेश में देखो आज़ादी की परिभाषा कितनी बदल गयी

देश प्रेम में तब युवाओं के खून खौला करते थे 
आज़ादी पाने को तब इंक़लाब जिंदाबाद के नारे बोला करते थे 
दुश्मन से लोहा लेने को तब महारानी की तलवार मचलती थी
आत्म सम्मान की ख़ातिर वीरबालाएँ ज़िन्दा जौहर में जलती थी
आज़ादी की ख़ातिर राजगुरू, सुखदेव, भगतसिंह हँसते हँसते फांसी झूले थे 
आखिरी साँस तक आज़ाद, तिलक ना अपना वादा भूले थे 

आओ बात करें आज आज़ादी की जो बिना दाम के मिल गई 
शायद इसीलिए उसकी आज परिभाषा भी बदल गयी 
आज युवाओं की रगों में देशद्रोह दौड़ा करता है 
इसीलिए विद्या के मंदिर में खड़ा हो वह भारत तोडा करता है 
आज युवाओं के खून में राजनीती उबाल मारती है 
भारत तेरे टुकड़े होंगे चीख चीख पुकारती है 
आज खड़ा हो चौराहों पर वो गरीबी से आज़ादी चाहता है 
कर्म की शिक्षा भूल, आरक्षण को सर्वोत्तम हथियार बताता है 
काँधे पर हथियार उठाये भाई भाई को मारा करता है 
निर्दोषो की हत्याओं को जंग आज़ादी कहता फिरता है 

मैं पर केंद्रित रह गया युवा अब, तर्कशक्ति उसकी विफल हुई 
आज के परीवेश में देखो आज़ादी की परिभाषा कितनी बदल गयी
आज़ादी की परिभाषा कितनी बदल गयी

हेम




Monday, 4 June 2018

माँ ❤️❤️❤️

अच्छा हुआ हम बड़े हो गए 
माँ की परेशानी और चिंता कुछ काम हुई 
छोटे थे तो ग़लती करने पर 
कभी प्यार से तो कभी डाँट से समझती थी माँ
कभी डरा कर या कभी कान मरोड़ कर 
समझती थी माँ 
अब हम बड़े हो गए है 
माँ अब शायद कम परेशान होतीं है 
शायद !!!!!!!!
पर अब लगता है वो पहले से ज़्यादा परेशान है 
अब समझा नहीं पाती क्यूँकि हम बड़े हो गए है 
प्यार से समझना भी अखर सा जाता है 
और कान तक तो  उसका हाथ पहूँच भी नहीं पता है 
क्या सच में हम बड़े हो गए है 
अब ये सब समझ पाती हूँ क्यूँकि अब मैं भी एक माँ हूँ
यही सुनती हूँ आपको कुछ नहीं पता 
अब हम  बड़े  हो गए हैं
कान तक हाथ पहुँचना तो दूर 
प्यार से समझना भी मुश्किल सा है 
माँ हम बड़े नहीं हुए 
हमें समझाया करो अपनी नाराज़गी दिखाया करो 
कान अब भी तरसते है आँखें अब भी ढूँढती है 
वो बचपन की यादें वो तुम्हारी बातें
हम अब भी छोटे है माँ 
एक बार फिर कान पकड़ कर समझा दो ना माँ
गोदी में सुला कर लोरी सुना दो 
ये दुनिया बहुत सताती है 
एक बार फिर से बचपन लोटा दो
हम सचमुच बहुत  छोटे ही हैं माँ
अपनी गोदी में एक बार फिर से  सुला दो माँ!!!!!!