कुछ सवाल है मन में।
सब अनसुलझे।
राहें बहुत हैं किस और चलूँ।
समझ नहीं पाता हूँ।
जहाँ हूँ वहाँ से दूर जाना चाहता हूँ।
मगर कहाँ।
फ़ैसला नहीं कर पाता हूँ।
सोचा था ताउम्र गुज़रेगी तेरे साथ।
पूरे होंगे अधूरे सपने।
कुछ तेरे कुछ मेरे।
लेकिन अब।
किसी और के सपनों के साथ जुड़ना चाहता हूँ।
सम्भावनाओं का आकाश तलाशना होगा।
अब इस टूटी कश्ती में सफ़र हो ना पाएगा।
जानता हूँ ख़ुश ना होगी तू मेरे जाने से।
फिर भी।
न चाहते हुए भी यह क़दम उठाना चाहता हूँ।
मुझे कोई शिकायत नहीं तुझसे।
लगता है तुझे अब मेरी ज़रूरत नहीं।
शायद मिलेंगे किसी मोड़ पर।
फिर से।
इस उम्मीद के साथ अब जाना चाहता हूँ।
अब और संघर्ष हो ना पाएगा।
ए नौकरी तुझे सलाम।
रोक ले मुझको।
अगर तुझे मेरी ज़रूरत है।
तुझको एक और मौक़ा देना चाहता हूँ।
सब अनसुलझे।
राहें बहुत हैं किस और चलूँ।
समझ नहीं पाता हूँ।
जहाँ हूँ वहाँ से दूर जाना चाहता हूँ।
मगर कहाँ।
फ़ैसला नहीं कर पाता हूँ।
सोचा था ताउम्र गुज़रेगी तेरे साथ।
पूरे होंगे अधूरे सपने।
कुछ तेरे कुछ मेरे।
लेकिन अब।
किसी और के सपनों के साथ जुड़ना चाहता हूँ।
सम्भावनाओं का आकाश तलाशना होगा।
अब इस टूटी कश्ती में सफ़र हो ना पाएगा।
जानता हूँ ख़ुश ना होगी तू मेरे जाने से।
फिर भी।
न चाहते हुए भी यह क़दम उठाना चाहता हूँ।
मुझे कोई शिकायत नहीं तुझसे।
लगता है तुझे अब मेरी ज़रूरत नहीं।
शायद मिलेंगे किसी मोड़ पर।
फिर से।
इस उम्मीद के साथ अब जाना चाहता हूँ।
अब और संघर्ष हो ना पाएगा।
ए नौकरी तुझे सलाम।
रोक ले मुझको।
अगर तुझे मेरी ज़रूरत है।
तुझको एक और मौक़ा देना चाहता हूँ।
वाह वाह । खयाल चोरी करने का भी हुनर रखते है?
ReplyDeleteबहुत खूब।
ReplyDeleteबात सही है, नौकरी हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाती है।
आपके इस जज्बे को प्रणाम।
नौकरी को प्रेमी का क्या बखूबी दिया है। व्यंग्य बहोत अच्छा है।
ReplyDeleteनौकरी नो करी!
ReplyDelete