आप सब के समक्ष ....
अनमोल उपहार
सृष्टि का ये अजब खेल था
जब हमारा हुआ मेल था।
याद है मुझे आज भी वो दिन जब
बस यूँही कर रहे थे तुम मेरा इन्तज़ार,
जब मैंने दिया था तुम्हारे हाथो मे अपना हाथ।
बीत गया था पूरा दिन यूँ ही सुनते सुनाते तुम्हारे मन की बात,
पकड़ कर मेरा हाथ शायद ढूंढ रहे थे मेरी और अपनी लकीरों मे जुड़ते हमारे भविष्य का सार।
तभी तो मौन रह कर तुमने किया था
मन ही मन विचलित होते हुए मेरा
सालों-साल इन्तज़ार ।
तुम से मिल कर मुझे हुआ कुछ ऐसा ऐहसास मानो सृष्टि ने दिया हो मुझे मेरा अनमोल उपहार ।
उदार मन, शांत चित और धीरज है तुम मे अपार,
सृष्टि ने दिया मुझे मेरा सबसे अनमोल उपहार ।
भिन्न थी आदते हमारी, भिन्न थे विचार
तब भी विधाता ने जोड़ दिए हमारे मन के तार ।
अब ले चलो मुझे बन कर सारथी मेरे
क्योंकि जीत लिया है मन मेरा तुम ने बन कर मेरा विधाता, मेरा मान, मेरा अभिमान ।
नतमस्तक हूँ मैं ईश्वर के सामने जिन्होंने मिला दिया हमें, बना कर तुम्हे कृष्ण और मुझे राधा का अवतार ।
लीना निर्वान 🙏🏼😊
:) लीना जी प्रेम में लीन हैं।
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