एक बार फिर आप सब के समक्ष मेरे कुछ विचार जो है आज बेटियों को समर्पित। बेटियाँ जिनके आ जाने से भर जाती है घर मे उर्जा।
हाँ! रंग चढ़ा है मुझ पर मेरी जीत का......
हाँ! रंग चढ़ा है मुझ पर मेरी जीत का,
हाँ! कर दिखाया है मैंने अपने वजूद का सर ऊँचा,
हाँ! कर दिया है साबित मैंने कि मै भी हूँ जिन्दा,
हाँ! मै हूँ एक बेटी जिसने लगा दिया है चाँद की चाँदनी पर तमग़ा।
अब नही रूकूँगी मै,
अब नही झुकूँगी मै,
दिखाऊंगी अब अपना हुनर
तूफानो मे पड़ी धूल को झाड़ कर।
हाँ! रंग चढ़ा है मुझ पर मेरी जीत का।
लाचारीयत अब न घेर पाएगी मुझे,
बेचारगी अब न दे पाएगी पनाह मुझे,
दिया है मेरे माँ बाबा ने भरोसा मुझे,
दिखाऊंगी अब अपना हुनर तूफानो मे पड़ी धूल को झाड़ कर।
हाँ रंग चढ़ा है मुझ पर मेरी जीत का.....
अब कभी बुझ न पाए लौ कभी कन्या के भूण की
करती हूँ आश्वस्त लेकर आऊंगी मै क्रान्ति ऐसे हुजूम की जो लेकर चलेगी मशाल मेरे वजूद की।
हाँ! कर दिया है साबित मैंने कि मै हूँ जिन्दा,
हाँ! मै हूँ एक बेटी जिसने लगा दिया है चाँद की चाँदनी पर तमग़ा।
लीना निर्वान
बेटियों की ताकत बेटी। बढ़िया
ReplyDeleteबहुत बढ़िया !!!!!!!
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