शायद आज मैं कुछ लिख पाऊँ
आज कुछ लिख डालूँ
भारत के सम्मान पर,
क्रान्तिकारियों के बलिदान पर
या
माँ की ममता देख आऊं,
उसका छोटा सा आँचल सींच लाऊँ
शायद आज मैं कुछ लिख पाऊँ
आज कुछ लिख डालूँ
यौवन की उस फुहाड़ पर,
बरसात की वो रात पर
या
मित्रों की मंडली में हो आऊँ,
साँझ के हंसी ठहाके बटोर लाऊँ
शायद आज मैं कुछ लिख पाऊँ
आज कुछ लिख डालूँ
अपने खेतों की लहराती फंसलों पर,
दूर जंगल से आती उस भीनी सी खुशबू पर
या
अपने गांव के गलियारे का चक्कर लगा आऊँ
बचपन के दोस्तों को जरा सलाम कर आऊँ
शायद आज मैं कुछ लिख पाऊँ
भावनाओँ को शब्दों में न सही ,
बस दिल में उतार पाऊँ
आज कुछ लिखूं या नहीँ
बस बीते समय में खो जाऊँ
Its a beautiful piece of poetry Harishji...keep writing
ReplyDeleteभावनाओ को बहुत सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है आपने हरीश जी. Keep posting your beautiful poems here.
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत कविता
ReplyDeleteThanks for reading..............appreciation is cherry on cake
ReplyDeleteWonderful. ...😊
ReplyDeleteWonderful. ...😊
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