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Thursday, 7 July 2016

रास आती है बस खुशिया ।

शब्दो की चाशनी मे घोल कर
कहलो मन की बात
रह जाएगा द्वेष भाव यही पर
बस स्वभाव जाएगा साथ ।

सब जीत जाएँ ज॔ग यह संभव नही
पर जीत लो आज मन सबका
यह असंभव भी नही ।

टपका दो बूँद अपने अमृत की
जो मिली है सब को वरदान ।

क्यो करते हो इतना संताप
और हो जाते हो खुद ही हताश
चलो सब ले आए खुशिया
और बाँटे खुले दिल से जग मे आज।

लीना निर्वान

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