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Tuesday, 6 September 2016

ग़ाज़ियाबाद रेल्वे स्टेशन - बदलाव ज़रूरी है।

ग़ाज़ियाबाद रेल्वे स्टेशन - बदलाव ज़रूरी है।
आज के समय में जबकि हम स्मार्ट सिटी की बात कर रहे है, नोर्मल स्पीड ट्रेन से हाई स्पीड एवं बुलेट ट्रेन की बात कर रहे है। ट्रेन के भीतर एवं बाहर में दी जानी वाली सुविधाओं में तब्दीली की बात कर रहे है। आज जबकि देश के कई एयरपोर्ट एवं बस अड्डों की शक्लें पूरी तरह से बदली जा चुकी है। वहीँ दिल्ली एनसीआर के ग़ाज़ियाबाद रेल्वे स्टेशन जहाँ से ग़ाज़ियाबाद, इंदिरपुरम, राजनगर इक्स्टेन्शन, क्रॉसिंग रिपब्लिक, नॉएडा, एवं ग्रेटर नॉएडा में रह रहे निवासी नियमित रूप से यात्रा करते है की हालत बहुत ही ख़राब है।

इंदिरपुरम, क्रॉसिंग रिपब्लिक, नॉएडा एवं ग्रेटर नॉएडा में रह रहे निवासी यहाँ से यात्रा करने के लिए विजयनगर की तरफ़ से इस स्टेशन का रूख करते है।

और समस्याओं का जंजाल सुरु हो जाता है स्टेशन के एंट्री पॉइंट पर ही। यहाँ पर कार पार्किंग के ठेकेदार ने रस्सी लगाकर स्टेशन तक जाने वाले रास्ते को बन्द किया हुआ है और अगर आपको किसी को केवल ड्रॉप भी करना है तो आपसे ज़बरन पार्किंग शुल्क वसूला जाता है।

इसके बाद इस तरफ़ के एंट्री पॉइंट पर कोई भी  डिस्प्ले बोर्ड की सुविधा नहीं है। आपको ट्रेन की वस्तुस्थिति जानने के लिए फूट-ओवर-ब्रिज को पार कर स्टेशन के दूसरी तरफ़ बनी स्टेशन बिल्डिंग तक पैदल जाना होगा। इस ब्रिज का लेवल भी समतल नहीं है।  स्टेशन बिल्डिंग पर भी अभी तक इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले बोर्ड की कोई सुविधा नहीं है आपको इन्क्वारी काउंटर में रखे बोर्ड में लिखी सूचना को पड़ने के लिए लाइन में लगना पड़ेगा एवं फिर  स्टेशन में  प्रवेश करने के लिए दोबारा से स्कैनिंग प्रक्रिया से गुज़रना पड़ेगा।

बुज़ुर्ग, शारीरिक रूप से कमज़ोर, विकलांग, एवं ज़्यादा समान लेकर चल रहे अकेले यात्रियों के लिए इस स्टेशन से ट्रेन पकड़ना एक अलिम्पिक में मेडल जितने के चैलेंज जैसा है। उनके लिए एलेवेटर तक की सुविधा नहीं है।  आज हम नोकिया से स्मार्ट फ़ोन की तरफ़ बड़ गए लेकिन ग़ाज़ियाबाद रेल्वे स्टेशन हम नहीं बदलेंगे वाले अन्दाज़ के साथ दिन प्रतिदिन यात्रियों की बड़ती हुई संख्या को अपनी सेवाएँ दे रहा है।

प्लैट्फ़ॉर्म की हालत भी बहुत जर्जर है। मैं इंदिरपुरम में वर्ष 2002 से रह रहा हूँ और मैंने इन प्लैट्फ़ॉर्म की हालत सुधारने को लेकर सरकार का कोई भी क़दम हक़ीक़त में नहीं देखा। आज जबकि हमारा रेलवे मंत्रालय स्टेशन पर खाने पीने की वस्तुओं की क्वालिटी की बात मात्र करता है वहीं ग़ाज़ियाबाद रेलवे स्टेशन पर आपको इन सब दाँवों की धज्जियाँ उड़ती नज़र आएँगी।

कब होगा बदलाव और क्यों नहीं हुआ बदलाव अभी तक। इन सभी प्रश्नो के साथ मैं आज ट्रेन का सफ़र कर रहा हूँ जोकि मैंने इस वर्षों पुराने बने स्टेशन से शुरू किया है और साथ ही इस बात की भी चिंता है की कल जब मैं वापिस आऊँगा तब फिर मुझे इन सभी मुसीबतों के साथ अपना सफ़र ख़त्म करना होगा।

6 comments:

  1. A very valid and much needed attention brought to the issue. Infrastructure is what taxes are paid for and instead of innovating travel ease we are struggling with even basic necessities being fulfilled

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  2. Thought provoking! Very well written article Ajay ji.

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  3. Thanks Lipika / Leena / Kavita ji. But I don't know how to resolve it.

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  4. Ajay ji... indeed very serious issue brought to light. Very sorry state...

    being from construction sector, i can understand it gives you a lot more pain than any of us.

    But hoping that someday... we will be at par with developed nation...

    ... have the faith!

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