मिले फ़क़त इतना वक़्त तेरे ख़याल हो जाए
जहां का सुकून भी हसरत ए बेज़ार हो जाए
कभी जो तनहा पा सकूं खुदको तेरे एहसास से
उस लम्हा चाँद भी बेदाग़ हो जाए
यूँ गुज़र के लम्हे में उम्र गुज़रती है
नज़रों पे करम तेरा रुखसार हो जाए
एक हसींन मुलाकात मेरे नसीबवर हो
ज़िन्दगी रंगीन बेशुमार हो जाए
तेरे तस्सवुर से ही जो रूह में लौ सी जलती है
उस रौशनी का खुदा भी तलबगार हो जाए
एक ज़िन्दगी नहीं काफी तुझे यूँ चाहने को
एक ख्याल पे एक ज़िंदगी निसार हो जाए
हो रहमत उसकी इतनी की तेरा ख्याल हकीकत हो जाये। बहुत खूब
ReplyDeleteवाह
Deleteवाह!! क्या खूब लिखा है...
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteआपके इस ख्याल से इक ख्याल उनको भी आजाए ,और वो एक हसीन मुलाक़ात आपको नसीब हो जाए।
ReplyDeleteबहुत उम्दा लेख लिखा है लिपिक जी.
शुक्रिया
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