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Tuesday, 6 December 2016

एक हसींन खयाल

मिले फ़क़त इतना वक़्त तेरे ख़याल हो जाए
जहां का सुकून भी हसरत ए बेज़ार हो जाए
कभी जो तनहा पा सकूं खुदको तेरे एहसास से
उस लम्हा चाँद भी बेदाग़ हो जाए

यूँ गुज़र के लम्हे में उम्र गुज़रती है
नज़रों पे करम तेरा रुखसार हो जाए
एक हसींन मुलाकात मेरे नसीबवर हो
ज़िन्दगी रंगीन बेशुमार हो जाए

तेरे तस्सवुर से ही जो रूह में लौ सी जलती है
उस रौशनी का खुदा भी तलबगार हो जाए
एक ज़िन्दगी नहीं काफी तुझे यूँ चाहने को
एक ख्याल पे एक ज़िंदगी निसार हो जाए

7 comments:

  1. हो रहमत उसकी इतनी की तेरा ख्याल हकीकत हो जाये। बहुत खूब

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  2. वाह!! क्या खूब लिखा है...

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  3. आपके इस ख्याल से इक ख्याल उनको भी आजाए ,और वो एक हसीन मुलाक़ात आपको नसीब हो जाए।

    बहुत उम्दा लेख लिखा है लिपिक जी.

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  4. This comment has been removed by the author.

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