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Thursday, 23 February 2017

वो अहसास अपना सा .........

वो अहसास अपना सा .........

एक ज़माना था जब अपने Family और Friends के Birthday और Aniversary याद रखा करते थे 
पर अब ये काम social media ने संभाल लिया है 
किसी भी special day से कुछ दिन पहले या same day उसका notificationआ जाता है या कोई group में से ही कोई remind करा देता है .......
भूलने के chances ज़रा कम ही रहते है 
एक वक़्त था अगर ऐसा कुछ भूल जाओ 
तो फिर आप समझ जाओ की वो तो गया ....
और ख़ास कर पतिदेव भूल गए तो ........;)
फिर हो गया .........
और फिर वो मान मनुहार वो माफ़ी 
वो tension का सा माहौल 
अब madam कब मानेगी ....
अब ये तो पति के skills पर ही depend होता था 
कितने समय तक कौन किस पर हावी 
एक बड़ा सा माफ़ीनामा
और एक भारी भरकम सा हर्ज़ाना 
लेकिन कुछ भी हो वो वक़्त ही कुछ अलग था 
वो रूठने मनाने का अहसास भी जुदा था 
ख़ास ख़ास कुछ लोग ही मुबारक देते थे 
उसके जज़्बात भी कुछ जुदा से होते थे 
वक़्त बदल गया है 
Face to face की जगह Face book का ज़माना हो गया है 
ये भी अच्छा है 
पर उसका अहसास तो आज भी कुछ special सा है
AnuYog 

4 comments:

  1. सही कहा। उस एहसास से हम जुदा होते जा रहे हैं। very nicely penned

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