वो अहसास अपना सा .........
एक ज़माना था जब अपने Family और Friends के Birthday और Aniversary याद रखा करते थे
एक ज़माना था जब अपने Family और Friends के Birthday और Aniversary याद रखा करते थे
पर अब ये काम social media ने संभाल लिया है
किसी भी special day से कुछ दिन पहले या same day उसका notificationआ जाता है या कोई group में से ही कोई remind करा देता है .......
भूलने के chances ज़रा कम ही रहते है
एक वक़्त था अगर ऐसा कुछ भूल जाओ
तो फिर आप समझ जाओ की वो तो गया ....
और ख़ास कर पतिदेव भूल गए तो ........;)
फिर हो गया .........
और फिर वो मान मनुहार वो माफ़ी
वो tension का सा माहौल
अब madam कब मानेगी ....
अब ये तो पति के skills पर ही depend होता था
कितने समय तक कौन किस पर हावी
एक बड़ा सा माफ़ीनामा
और एक भारी भरकम सा हर्ज़ाना
लेकिन कुछ भी हो वो वक़्त ही कुछ अलग था
वो रूठने मनाने का अहसास भी जुदा था
ख़ास ख़ास कुछ लोग ही मुबारक देते थे
उसके जज़्बात भी कुछ जुदा से होते थे
वक़्त बदल गया है
Face to face की जगह Face book का ज़माना हो गया है
ये भी अच्छा है
पर उसका अहसास तो आज भी कुछ special सा है
AnuYog
सही कहा। उस एहसास से हम जुदा होते जा रहे हैं। very nicely penned
ReplyDeleteThanks dear ❣️❣️
DeleteHow true... Very nice...
ReplyDeleteThanks dear 😘 😘
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