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Tuesday, 1 November 2016

सुना है की हवा दूषित है

जरा सम्हाल के सांस लेना मेरे मिञों
सुना है की हवा दूषित है,
दूषित मन, दूषित तन और दूषित वचन से कहाँ कुछ होता है।
पर जरा सम्हाल के सांस लेना मेरे मिञों सुना है की हवा दूषित है,


तेरे प्रति वह द्वेष भाव, वह वैमनस्य पूर्ण मेरा स्वभाव, भला उससे कहीं कुछ होता है पर
जरा सम्हाल के सांस लेना मेरे मिञों सुना है की हवा दूषित है,


क्या हुआ जो मेरे ह्रदय मे तेरे लिए द्वेशाग्नि प्रखर प्रज्वलित है पर
जरा सम्हाल के सांस लेना मेरे मिञोंसुना है की हवा दूषित है,


पल पल तेरे अहित की चाह में मेरा मन अकुलाता है,
नींद मेरी उङ जाती है जब तू निश्चिन्त सो जाता है,
तेरे अशुभ की चाहत से मेरा हर कर्म प्रेरित है पर
 जरा सम्हाल के सांस लेना मेरे मिञों सुना है की हवा दूषित है,


मन का प्रदूषण कम करो तो दूषित हवा पर बात करें,
वातावरण का प्रदूषण कम करने को एक साथ आघात करें,
कुछ तुम बदलो कुछ हम बदलें,
मिलजुल संयुक्त प्रयास करें,
दूषित हवा की हवा बदल दें ।
एक स्वस्थ, आन्नदमयी वातावरण में स्वास लें॥ 

1 comment:

  1. अति उत्तम। विचारों की सुदृढ़ता और प्रस्तुति दोनों ही बोहोत सशक्त हैं।

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