Writer

Writer

Tuesday, 25 October 2016

आओ मेरे साथ चलो

आओ मेरे साथ चलो

चल निकला आज फिर एक सफ़र पर। 
कुछ सीखने, और कुछ सीखाने। 
आने वाले भविष्य को सुंदर बनाने। 

जो कुछ है मेरे पास, कहीं वो व्यर्थ ना हो जाएँ। 
जितना समय लगा मुझे यह सब सीखने में। 
किसी और का ना लग जाएँ। 

अगली पीड़ी का भविष्य उज्जवल हो।
यह मेरी भी तो ज़िम्मेवारी है। 
मुझे मेरे बड़ों ने सिखाया, अब मेरी बारी है। 

आओं मेरे साथ चलो।
मेरे हाथ से हाथ मिलाओ ना। 
इतना ज्ञान लेकर कहाँ जाओगे।
कुछ मेरे साथ बाँट आओ ना। 

ज्ञान बाँटने से बड़ता है, यह बात तुम ना जाना भूल। 
कुछ सिखाओं और कुछ, ख़ुद भी सीख कर आओ ना। 
इतना ज्ञान लेकर कहाँ जाओगे।
कुछ मेरे साथ बाँट आओ ना। 

No comments:

Post a Comment