हमारे देश का आज यह हाल है की जब हमारी साहसी फ़ौज पाकिस्तान में जा आतंकियों को मारती है, उनपे सवाल उठा सबूत माँगा जाता है। और हाल में, जेल से भाग रहे SIMI आतंकी को मार गिराया, फिर से उनपर सवाल और उंगलियां उठ रही है, जांच की मांग हो रही है...
इस बात पे अपनी सोच प्रस्तुत कर रही हूँ...
क्यों दशहरा तुम मनाते हो
******************
ऐ बुद्धिजीवी देश के मेरे
क्यों आतंकी पे अश्क बहाते हो।
इतना डूबे राजनीति में
देश-हित ही भूल जाते हो।
बार बार दिल पूछे मुझसे
क्यों दशहरा तुम मनाते हो।
रावण भी था बुरा मनुष्य
हुआ ढेर राम के वार से।
लंका भी उस दिन गूंजी थी
श्रीराम की जय जयकार से।
राजपूत ने ब्राह्मण को मारा
ना किसी ने सवाल उठाया था।
अयोध्या ने भी सबूत ना माँगा
कि राम ने ही तीर चलाया था।
इतना दूर भी क्यों जाते हो
पड़ोस में तुम्हे ले जाती हूँ।
लादेन को जब मार गिराया
वो दिन तुम्को याद दिलाती हूँ।
अमरीकी ने पाक में घुसकर
लादेन को जब तबाह किया।
चाहे democratic हो या republican
साथ में सबने 'वाह' किया।
Human rights की बात भुला कर
सबने खुशियाँ मनाई थी।
आपसी मतभेद से उठ कर
सबको सबने बधाई दी।
आतंकी पे रोने वालों
अब तो थोड़ी शर्म करो।
जिस सैनिक ने जान गवां दी
थोडा उस पे भी गर्व करो।
इतना डूबे राजनीति में
देश हित ही भूल जाते हो।
बार बार दिल पूछे मुझसे
क्यों दशहरा तुम मनाते हो।
इस बात पे अपनी सोच प्रस्तुत कर रही हूँ...
क्यों दशहरा तुम मनाते हो
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ऐ बुद्धिजीवी देश के मेरे
क्यों आतंकी पे अश्क बहाते हो।
इतना डूबे राजनीति में
देश-हित ही भूल जाते हो।
बार बार दिल पूछे मुझसे
क्यों दशहरा तुम मनाते हो।
रावण भी था बुरा मनुष्य
हुआ ढेर राम के वार से।
लंका भी उस दिन गूंजी थी
श्रीराम की जय जयकार से।
राजपूत ने ब्राह्मण को मारा
ना किसी ने सवाल उठाया था।
अयोध्या ने भी सबूत ना माँगा
कि राम ने ही तीर चलाया था।
इतना दूर भी क्यों जाते हो
पड़ोस में तुम्हे ले जाती हूँ।
लादेन को जब मार गिराया
वो दिन तुम्को याद दिलाती हूँ।
अमरीकी ने पाक में घुसकर
लादेन को जब तबाह किया।
चाहे democratic हो या republican
साथ में सबने 'वाह' किया।
Human rights की बात भुला कर
सबने खुशियाँ मनाई थी।
आपसी मतभेद से उठ कर
सबको सबने बधाई दी।
आतंकी पे रोने वालों
अब तो थोड़ी शर्म करो।
जिस सैनिक ने जान गवां दी
थोडा उस पे भी गर्व करो।
इतना डूबे राजनीति में
देश हित ही भूल जाते हो।
बार बार दिल पूछे मुझसे
क्यों दशहरा तुम मनाते हो।
अति सूंदर । लेकिन हमारे देश के बुद्धि जिव इसपे विचार करने जितने बुद्धिजीव नहीं है ।
ReplyDeleteखूब लिखा है आपने सीमाजी ।
धन्यवाद।।
Deleteसही कहा Chandresh आपने ... ऐसा होता तो आज यह दिन ना देखते...।
बोहोत खूब सीमा। सुदृढ़ सोच लेखन में भी छलक रही है।
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