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Monday, 7 November 2016

पटाखे की कहानी

पटाखे की कहानी
दिवाली के अगले दिन।
जब मैं रहा था घर का कूड़ा बीन।
मुझे एक बिन फूटा पटाखा मिल गया। 
मैंने पूछा। 
इतने सारे जलाए तू कैसे बच गया। 
सब तो बज गए फिर तू कैसे बच गया। 
वो बोला जब तक मेरी बारी आयी मैं डर गया। 
हम से ज़्यादा शोर तो तुम कर रहे थे।
प्रदूषण - प्रदूषण बोलकर हमें बोर कर रहे थे। 
अब मुझे जलाकर मुझे बदनाम मत करना।
और कूड़े में डालकर मेरा अपमान ना करना।
तुम्हारी दिवाली से अच्छा मैं वैलेंटायन में फूटना चाहूँगा। 
आत्महत्या करके भी शहीद कहलाऊँगा।
आत्महत्या करके भी शहीद कहलाऊँगा।

1 comment:

  1. आज कल जब दीपावली के बाद भी पटाखे फूट रहे हैं वैलेंटाइन तक इंतज़ार करने की आवश्यकता है क्या :D

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