न रूक, न निराश हो कर बैठ राह में
चलता रह की जिंदगी ने कुछ सबक और सिखाने हैं॥
न परवाह कर पांव मे पङे हुए छालोंं की,
बहुत छोटे हैं ये, अभी तो घाव कुछ बङे और खाने हैं।
चलता रह की जिंदगी ने कुछ सबक और सिखाने हैं॥
आज तुम छोङ आए हो अपनों को, कल अपने तुम्हे छोङ जाएंगे,
तब दुख न करना इसका क्योंकी ये तो जिदंगी के कुछ नियम पुराने हैं।
चलता रह की जिंदगी ने कुछ सबक और सिखाने हैं॥
पैसे की चमक देख, जो तूने मतलब के दोस्त बना रखे हैं,
एेसी मतलब की दोस्ती से कुछ उम्मीद न रखना,
क्योंकी वक्त पडने पर ये सभी मुंह फेर जाने है।
भुलाए बैठा है तू जिन बचपन के यारों को, याद रखना बुरे वक्त में वही तेरे काम आने हैं।
चलता रह की जिंदगी ने कुछ सबक और सिखाने हैं।
ऊचाईयों पर पहुंचने की चाह में, जिन रिश्तों पर तू पैर रख चढ़ आया है
अपनी लोभ पिपासा में, दर्द में कराहते उन रिश्तों को राह में छोङ बढ़ आया है।
भूले नही हैं तुझे पर मजबूर हैं, तू ही नही याद करता कभी, यही सोच कर दूर हैं
कभी बुला कर देख, सिर्फ यही हैं जो तेरी एक आवाज पर चले आने हैं।
चलता रह की जिंदगी ने कुछ सबक और सिखाने हैं।
सोचता है तू, जलते है तेरे अपने तेरी उन्नति से
भाई बहन कुछ मांग न लें, तेरी अर्जित की संपति से
भूल गया तू पगले, तरी प्रगती की खातीर वो क्या क्या खोए हैं
तेरी बचपन की चोटों पर तुझ से ज्यादा वो रोए हैं।
एक बार बढ़ गले लगा, देख दिल कैसे उनके पिघल जाने हैं।
चलता रह की जिंदगी ने कुछ सबक और सिखाने हैं॥
हेम शर्मा
सत्य वचन। बहुत अच्छा भाव प्रकट किया है।
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