आज उसके घर की खिड़की जो खुली
बादलों ने हटा दिया घूँघट
मेरे शहर में आज धूप निकली है
मौसम भी कुछ खिला - खिला सा है
ठंडी हवा की लहर उसकी खिड़की से गुजरी होगी
उसके गालों को छूकर निकली होगी
इस सर्द मौसम में
तभी तो फ़िज़ा का रंग गुलाबी सा है
हर एक कली खिली - खिली सी है
मौसम बड़ा सुहाना है
ये उसके बदन की खुशबू का असर है
तभी तो फूलों की खुशबू खुशनुमा सी है
शाम को चाँद भी उसकी खिड़की में झांकेगा
उसके दीदार की इक झलक पाने के लिए
उस मंजर को देखने की ललक में
रात होने की बड़ी बेबसी सी है
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