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Friday, 8 December 2017

मौसम बड़ा सुहाना है


आज उसके घर की खिड़की जो खुली

बादलों ने हटा दिया घूँघट

मेरे शहर में आज धूप निकली है

मौसम भी कुछ खिला - खिला सा है

 

ठंडी हवा की लहर उसकी खिड़की से गुजरी होगी

उसके गालों को छूकर निकली होगी

इस सर्द मौसम में

तभी तो फ़िज़ा का रंग गुलाबी सा है

 

हर एक कली खिली - खिली सी है

मौसम बड़ा सुहाना है

ये उसके बदन की खुशबू का असर है

तभी तो फूलों की खुशबू खुशनुमा सी है

 

शाम को चाँद भी उसकी खिड़की में झांकेगा

उसके दीदार की इक झलक पाने के लिए

उस मंजर को देखने की ललक में

रात होने की बड़ी बेबसी सी है 

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