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Wednesday, 12 October 2016

ऐ अजनबी

 अजनबी
जाने पहचाने चेहरों के बीच। 
कुछ अजनबी मिलें।
कुछ नयों से पहचान हुई। 
कुछ पहचाने अजनबी हो गए।।
जीवन की उलझतीं राहों में।
कई मिले थे हमदम।
चार क़दम साथ चलकर। 
कुछ बेगाने हो गए।।
यह सिलसिला यूँ हीं चलता रहेगा।
ज़िंदगी भर शायद ...
जो साथ है वो याद है।
जो छूट गए वो अफ़साने हो गए।।
यादें भी बड़ी बेरहम सी हो गयी है।
आजकल ....
जिनका ज़िक्र होता था मेरे हर गीत के मुखड़े में।
आज वो किसी और के गीतों के तराने हो गए।।

5 comments:

  1. Awsome Ajay!!!The last lines were touching.

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  2. वाह अजय जी। जो छूट गए वो अफ़साने हो गए

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  3. बहुत खूब अजय जी!

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