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Thursday, 27 October 2016

बहुत जोर से चुभता है।

सुबह की सैर पर, पड़ोस के पार्क में जो गाड़ी ले कर जाते हैं।
बहुत जोर से चुभता है जब वो प्रदूषण पर चिंता जताते हैं॥

BONFIRE के नाम पर जब वो, जंगल काट जलाते हैं।
बहुत जोर से चुभता है जब वो प्रदूषण पर चिंता जताते हैं॥

ब़च्चों का जन्मदिन हो, या शादी की सालगिरह अपने घर के आंगन में BAR BE QUE कह कर वो कोयला खूब जलाते हैं 
बहुत जोर से चुभता है जब वो प्रदूषण पर चिंता जताते हैं॥

अपनी सुविधा की खातिर, हर नियम कानून रख ताक पर।
घर में अपने चौबीस घंटे वो चार चार AC चलाते हैं॥
बहुत जोर से चुभता है जब वो प्रदूषण पर चिंता जताते हैं॥

एे मेेरे देेश के ज्ञानचंदो, म़ाफ करो, न इतना ज्ञान बघारो तुम।
जग भला व सुधरा दिखेगा तुमको, पर पहले अपनी आदते सुधारो तुम॥

हेम शर्मा 

2 comments:

  1. हेम भाई बहुत बढ़िया लिखा है
    मैं हमेशा सोचता हूँ कि हम हिन्दू होते हुए कैसे अपने ही त्योहारों में पानी कि बर्बादी, प्रदूषण, धागा ही तो है, जैसे शब्दो का प्रयोग करके सोशल मीडिया में वाही वाही लूटने का प्रयास करते है

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  2. इस कटाक्ष में भी आनंद है। बहुत सुंदर प्रस्तुति।

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